Sunday, March 21, 2010

~“बुढापा हिंदी का”~

एक दिन रेलवे स्टेशन पर,

एक बच्चे ने देखा एक बन्दर |

बच्चा बोला मम्मी देखो बन्दर

उसपर चीखकर बोली मम्मी,

Monkey कहो नाकि बन्दर |.


अजीब बात है,

शेर भी कहने लगा Hi !

नानी की कहानी में,

मैं समझ गयी,

हिंदी हो चली बूढी अपनी जवानी में |


पीछे से आई विदेशी भाषी बिल्ली,

और उसने नाक हिंदी का नोचा |

इतनी सारी भाषाओँ ने भला,

राष्ट्रभाषा को ही क्यों दबोचा |

किसीने नाक में बोलना शुरू किया,

और टांग हिंदी की तोड़ी|


उधर किसीने 2-3 बोलियों का मिक्सर

with hindi बनाकर इसकी बाह मरोड़ी |

आ गया इन्कलाब भारतीय जुबानी में

हिंदी हो चली बूढी अपनी जवानी में|


एक दिन महाविद्यालय के चौराहे पर

एक नया प्रकार देखने को मिला|

तरीका था दादागिरी भरा

याने की ढीला |

पता चला बादमे

लड़कों ने आविष्कार है किया

यह है स्टाइल बम्बइयाँ |


एक दिन वाचनालय में मैंने पाया

किताबों की ढेर में हिंदी एक और खड़ी है|

मेरे डॉक्टर मित्र ने बताया

हिंदी बीमार पड़ी है |

उसे हो गयी है सर्दी,

क्यूंकि उसे बोलने वालों की कम जो हो गयी गर्दी |

झंडे तक रह गयी सिमित शुद्ध हिंदी राजधानी में,

हिंदी हो चली बूढी अपनी जवानी में |


यदि कबीर समय यन्त्र में बैठकर आज आ जाते

तो वे पशु भी चराते और सूत भी कातते |

पर गाना भूल जाते |

और अगर तुलसीदास आ जाते

तो अपनी ही रचना समझने बैठ जाते |

बिन हिंदी जाने ही ज्ञान आने लगा ज्ञानी में

हिंदी हो चली बूढी अपनी जवानी में |


बुजुर्ग तो चले गए पीछे ये आदेश छोड़

चले दुनिया जिस राह से चल बेटे उसी ओर

सोचती हू क्युना जोश में मैं भी कह दू ??!!

I am a “Hindu”

लग गयी दिमक हाय!

महान हिंदी की महानी में

हिंदी हो चली बूढी अपनी जवानी में.............

8th September, 2002.





20 comments:

  1. अति सुन्दर भाव बहे ...बहने देना !
    ब्लॉग जगत में तुम्हारा स्वागत है !

    God Bless !

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  2. मेरी प्रिय एवं आदरणीय सेहर जी ......
    शुक्रिया बहुत बहुत इस हौसला अफजाई के लिए...
    यह सब आप ही के मार्गदर्शन एवं स्नेह का नतीजा है...जो आप ही को समर्पित है...प्रणाम....

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  3. ब्लॉग जगत में तुम्हारा स्वागत है बेटा...
    अच्छा लिखा है तुमने...

    पर हिंदी को जवानी में बूढा मत बनाओ...

    सस्नेह...
    आशीष....

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  4. बहुत सुन्दर लिखा...आपका स्वागत है.

    ----------------------
    "पाखी की दुनिया" में इस बार पोर्टब्लेयर के खूबसूरत म्यूजियम की सैर

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  5. @manu ji....शुक्रिया बहुत बहुत इस हौसला अफजाई का...लेकिन इसका सारा श्रेय तो हमारी "सेहर दीदी" को ही जाता है....साहित्य के स से भी चिढ है मुझे....लेकिन इनके लिए मैं यहाँ आई हू....ब्लॉग पर.....
    आप फ़िक्र ना करे आप जैसे supporters के होते हुए हिंदी कभी बूढी नहीं होंगी...:))

    @pakhi ji..... आपके संगीतमय सफर का आनंद हम सभी जरुर उठाएंगे.....शुक्रिया आपको भी.....

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  6. साहित्य के स से भी चिढ है मुझे

    aapse naheeeeN,,,,
    Seharji se poochhtaa hooN,,,,
    kyooooooN....??

    nice write
    try to keep it up !!

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  7. बहुत ही सशक्त रचना. बहुत शुभकामनाएं.

    रामराम.

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  8. बुरा ना मानियेगा, "वर्ड वैरीफ़िकेशन" हटा लिजिये. टिप्पणीकर्ताओं को आसानी होगी.

    रामराम.

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  9. @Yogendra ji.
    @Muflis ji..
    @Taau ji.... आप सभी को बहुत बहुत शुक्रिया...

    @ताऊ जी...वर्ड वेरिफिकेशन कैसे हटाया जाता है??

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  10. डैशबोर्ड पर Settings > comments > वहां से Comment moderation में आपको तीन optins मिलेंगे. अभी वहां बाई डिफ़ाल्ट always चेक्ड है उसकी जगह Never को चेक करके सबसे नीचे save settings कर लिजिये.

    दिक्कत हो तो taau@taau.in पर मेल किजिये.

    रामराम.

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  11. जी ताऊ जी मैंने अभी देखा वहा जाकर नेवर पर ही चेक था....
    आपका बहुत बहुत शुक्रिया इस मार्गदर्शन के लिए..मैं यहाँ एकदम नयी हू...ये ब्लॉग वाली दुनिया एकदम भूलभुलैय्या जैसी लग रही है...:P

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  12. माफ़ी चाहुंगा, मैने आपको कमेंट मोडरेशन के बारे मे बता दिया जबकि बताना था वर्ड वैरीफ़िकेशन हटाने के बारे में.

    settings में comments का option है. वहां आप Show word verification for comments? के आप्शन को No कर दिजिये, अभी बाई डिफ़ाल्ट वो Yes है. उसको No करके सेव कर दिजिये, बस वर्ड वैरीफ़िकेशन हट जायेगा.

    रामराम.

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  13. Thanks to all friends for ur encouraging words and support....
    ..._.;_'.-._
    ...{`--..-.'_,}
    .{;..\,__...-'/}
    .{..'-`.._;..-';
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  14. आ गया इन्कलाब भारतीय जुबानी में

    हिंदी हो चली बूढी अपनी जवानी में|

    This is really brilliant , a well directed satire on the social stigma where we being Indians are are confused and going through a phase of identity crisis where we are losing grip on our traditional culture and unconsciously degrading and disrespecting our mother tongue.
    This poem of your's is an eye opener... great work... keep it up !

    Regards,
    Rajat

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  15. Thank u for ur kind words Rajat ji......

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  16. अच्छा ब्लॉग. इसे जारी रखो

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  17. achha likha hai....
    Jyon saundarya me vriddi kare
    saubhagya soochak Bindi..
    viswa bhaal par chamak rahi
    unnat bhasha HINDI....

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